इस दुनिया में लाई हो मुझे
नज़रो से बयां करती हो उसे ,
उस ईश्वर की मूरत हो
मेरी माँ …
कैसे मैं कहूँ क्या हो तुम
उसकी दी हुई दुआ हो तुम ,
मेरी जमीं आसमा हो तुम
उस ममता की जबां हो तुम ,
सादगी की तुम सूरत हो
मेरी माँ ….
पाकर के तुझे सबकुछ पाया
हमेशा रहे तेरा साया ,
तेरी खुशबू से महके आँगन
तुझे देखे तो झूमे सावन ,
कुदरत की तरह खूबसूरत हो
मेरी माँ ….
निशांत चौबे ‘ अज्ञानी’
२०.०२.२०१६