माई ! तहरा के देख के
ई ख्याल आवे ला .
ईश्वर ही ई दुनिया में
खुद के माई बनावेला ।
माई ! तहरा के जब गोड़ हम लगेनी
उनका आगे हाथ हम जोड़ेनी,
तहरा से जब बात हम करेनी
उनके नाम के माला जपेनी ।
माई ! जे रास्ता से हो के तू जालूं
हमरा खातिर तू तीर्थ बनालूं ।
माई ! तहरा गोदी के
नींद अभी बाकी बा ,
हथवा से खाए के
भूख अभी बाकी बा ,
तहरा ममता के
प्यास अभी बाकी बा .
तहरा लोरी के
आस अभी बाकी बा ।
माई ! प्रेम के आखर के
गीत बना के ,
खुश हो जानी हम
तहरा के सुना के ।
निशांत चौबे ‘अज्ञानी’
११.१०.२०१६