माँ तेरे चेहरे से सुन्दर
और चेहरा क्या होगा ,
मुझ जैसा खुशनसीब
दूजा और कहाँ होगा ।
मुझको आँचल में छिपाना
और गोदी में सुलाना ,
प्यार से मेरे सर पर
तेरा वो हाथ फिराना ।
मुझ जैसा तेरा खिलौना
दूजा और कहाँ होगा ,
माँ तेरे चेहरे से सुन्दर
और चेहरा क्या होगा ।
तेरे आँखों के वो मोती
मेरी फ़िक्र में तुम ना सोती ,
मेरी खुशियों की खातिर
अपनी सारी खुशियाँ खोती |
मेरा बचपन तेरी ममता
का ही रूप रहा होगा ,
माँ तेरे चेहरे से सुन्दर
और चेहरा क्या होगा ।
तेरे हाथों का वो कंगन
तेरे बातों का वो दर्पण ,
मुझसे तेरा नाता गहरा
जैसे गंगा से संगम ।
तेरी आँखे तेरी बातें
प्यार का सागर होगा ,
माँ तेरे चेहरे से सुन्दर
और चेहरा क्या होगा ।
आज मैं कुछ दूर हूँ
वक़्त से मजबूर हूँ ,
मैं कहीं भी पर रहूँ
सिर्फ तेरा नूर हूँ ।
मेरे शब्द , मेरा लेखन
तुझसे ही आया होगा ,
माँ तेरे चेहरे से सुन्दर
और चेहरा क्या होगा।
निशांत चौबे ‘ अज्ञानी ‘
१९. ०६. २०१३