जननी है तुम्हारी यह
कुछ इसका तुम मान रखो ,
वज़ूद तुम्हारा इनसे है
कुछ इसका गुमान रखो ।
सारी सृष्टि इनकी रचना
तुम बस इनकी छाया हो ,
फूंके प्राण इन्होने तुममे
तब ज़िंदा इक काया हो ।
इनके गर्भ में तुमने
अपना पहला श्वास भरा ,
इनके प्यार ने ही तुममे
जीने का आस भरा ।
सारी तकलीफो को सहकर
इतना काबिल बनाया तुमको ,
अपने सपनो को देकर
सपनो सा है सजाया तुमको ।
आज मगर ये हालत है
इनका कुछ सम्मान नहीं ,
देवी है ये देवी का
किया जाता अपमान नहीं ।
अबला ना तुम इनको समझो
शक्ति की ये मूरत है ,
इनमे भी आग भरा है
शीतल इनकी सूरत है ।
ईश्वर की देन है ये
इनसे हमेशा प्यार रखना ,
दुनिया की ये सुंदरता है
इनका तुम ख्याल रखना ।
अपनी खुशियों के अलावे
इनकी ख़ुशी का ध्यान रखना ,
अपने हाथों में हमेशा
इनका भी तुम हाथ रखना ।
अंत में नारियों से निवेदन है कि
शोभा हो किसी के घर की,
इसका तुम भान रखना ,
अपने पिता की इज़्ज़त हो तुम
इसका तुम अभिमान रखना ।
सच्ची सुंदरता मन की होती है
तन की नहीं होती ,
अपनी सुंदरता का हमेशा
अपने मन में सम्मान रखना ।
निशांत चौबे ‘ अज्ञानी ‘
१६.०९.२०१२