धागा

मेरे इस कलाई पर तुम्हारे
प्रेम का प्रतीक है ये धागा ,
तुम्हारे विश्वास की ढृढ़ता और
स्नेह से बंधित है ये धागा ।

कुछ गीला सा महसूस
होता है मुझे ये ,
शायद तुम्हारे आँसुओं से
संचित है ये धागा ।

स्थान की दूरी कोई दूरी नहीं
जब ह्रदय हमारा समीप हो ,
तुम्हारी मुझसे निकटता का
स्वयं उपदेश है ये धागा ।

कुछ ध्वनि सी सुनाई
देती है इन धागो में ,
हाँ , तुम्हारी दुआओं का
विस्तृत सन्देश है ये धागा ।

इस धागे को कलाई पर
बांधना मेरा भाग्य है ,
तुम्हारी जैसी बहन का होना
ये मेरा सौभाग्य है ।

निशांत चौबे ‘अज्ञानी’
१८.०८.२०१६

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nishantchoubey

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