दर्द को अपना मीत बनाले
ज़िन्दगी आसान हो जाएगी ,
इस रात की यह अँधेरी
चांदनी से धुलकर खो जाएगी ।
गर दर्द महसूस हो तो
खुश हो की तुम ज़िंदा हो ,
कुछ करना अभी बाकी है
इसलिए ही तुम ज़िंदा हो ।
दर्द सहना है पत्थरो को
गर बनना है भगवान ,
कुछ पाना इस दुनिया में
इतना नहीं है आसान ।
आग की तपिश सहकर
कंचन कुंदन बनता है ,
तभी सारा जगत उसको
अपने सर पर धरता है ।
हीरे की असली चमक
तराशने पर ही आती है ,
कितना भी छुपालो तब
चमक ना छुपने पाती है ।
असहनीय दर्द सहकर ही
उत्पन्न होता नया जीवन ,
दर्द के बिना कभी भी
ना होता कोई सृजन ।
तूफानों में कश्तियाँ चलाने का
अपना अलग ही मज़ा है ,
दर्द से यूँ डरना तुम्हारा
बिलकुल ही बेवज़ह है ।
दर्द बताता है तुझको
तुझमे अभी बहुत कमी है ,
सब कुछ तूने ही किया है
फिर क्यों आँखों में नमी है ।
दर्द को अपने तू
काबू में अपने कर ले ,
फिर दोनों जहाँ की खुशियां
दामन में अपने भर ले ।
चल उठ अब और
आंसुओ को अपने पोछ,
बहुत कुछ करना है तुझे
अब कुछ करने की सोच ।
तेरी किस्मत का फैलसा
कोई और क्या लिखेगा ,
तुझमे है दम कितना
सारी दुनिया को दिखेगा ।
निशांत चौबे ‘ अज्ञानी ‘
२०.०१.२०१२