जय सिया राम

दो अक्षर का प्यारा नाम
जय सिया राम जय सिया राम ,
राम नाम में ही मिलता है
अपने सुखो के सब धाम ।

मर्यादापुरुषोत्तम है वो
मर्यादा है उनका नाम ,
अपने जीवन से सबको
राह दिखाना उनका काम ।

हनुमत जिनका नाम सुमिरकर
अमर किये है अपना नाम ,
भवसागर से पार लगाना
पहुँचाना मुझको निज धाम ।

केवट ने चरणों को धोकर
मुख से अमृत पान किया ,
शबरी ने जूठे बेरो को
खिलाकर अपना नाम किया ।

प्रेम ही बस साधन है
गर जाना है राम के धाम ,
प्रेम पर ही रख भरोसा
बाकि दूजे ना आए काम ।

इस नश्वर जीवन का कोई
ठौर है ना कोई ठिकाना ,
किस पथ से जाऊँ मैं
राम अब तुम ही बताना ।

सहस आता है मन में
जब भी लेता हूँ तेरा नाम,
तेरे चरित्र को अपनाना
मेरा बस अब एक ही काम ।

दो अक्षर का प्यारा नाम
जय सिया राम जय सिया राम ,
राम नाम में ही मिलता है
अपने सुखो के सब धाम ।

निशांत चौबे ‘ अज्ञानी ‘
१२.०४.२०१३

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