क्या खोया क्या पाया तू

क्या खोया क्या पाया तू
जग में फिर क्यूँ आया तू ,
क्या तेरा था क्या रहेगा
इन सबसे भरमाया क्यूँ ?

तेरी कंचन की काया
तेरी झूठी ये माया ,
क्या सदा थी क्या रहेगी
इनमे खुद को फँसाया क्यूँ ?

जीवन बस अभी का पल है
आज है पर ना कल है ,
एक समय ही बस तेरा था
इसको व्यर्थ गँवाया क्यूँ ?

सत्य ह्रदय में धारण कर ले
प्रेम का बस पालन कर ले ,
स्वर्ग यहीं थी यहीं रहेगी
इसको तू ठुकराया क्यूँ ?

एक लक्ष्य निर्धारित कर ले
खुद को तू मर्यादित कर ले ,
एक युद्ध है लड़ना होगा
तूने पीठ दिखाया क्यूँ ?

एक शक्ति का पुँज तू है
सामर्थ्य भरा वो कुँज तू है ,
बस में तेरे सब कुछ है फिर
तूने हाथ फैलाया क्यूँ ?

देता जो वही मिलता तुझको
तू ही बस बचाएगा खुदको ,
भाग्य तेरा सिर्फ तू लिखता
उस पर दोष लगाया क्यूँ ?

नेकी कर अंत नेक ही होगा
तेरे जैसा सिर्फ एक ही होगा ,
जीवन तेरा आदर्श बने
शांति-ख़ुशी का स्पर्श बने ,
खुद से खुद को जान अब तू
अपने को झुठलाया क्यूँ ?

क्या खोया क्या पाया तू
जग में फिर क्यूँ आया तू ,
क्या तेरा था क्या रहेगा
इन सबसे भरमाया क्यूँ ?

निशांत चौबे ‘ अज्ञानी ‘
२१.०५.२०१३

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