आपकी झील सी आँखों के आईने में
अक्स मेरा जो दिखाई देता है ,
बातें करता है मुझसे वो
उसमें धड़कन आपका सुनाई देता है ।
वो हवा जो उस तरफ से आती है
जो बिन कहे तुमको छू जाती है ,
उसमें खुशबू जो बसी तेरी है
तपते मन को सुकून पहुँचाती है ।
यूँ तो चेहरे कि तेरी बनावट में
उस खुदा कि खुद बनाई है ,
पर दिल को तेरे जो कोई देखे
उसमें कैद खुद उसकी खुदाई है ।
निशांत चौबे ‘अज्ञानी’
१२.१२.२०१५