आँचल तेरा सर पर तेरे,
दोनों जहाँ है बस ये मेरे ।
तेरी ख़ुशी की है माँगी दुआ ,
तेरे जैसा ना कोई हुआ ।
कंगन तेरा बातें सुनाए,
हौले से ये मुझको बुलाए ।
नयना तेरे सागर से गहरे ,
दिल की कश्ती आकर के ठहरे ।
चेहरा तेरा जादू भरा ,
इससे है ना कुछ भी खरा ।
जुल्फे तेरी बादल हो ऐसे ,
जलती धुप में छाया हो जैसे ।
बातें तेरी लगती है प्यारी ,
तुमसे ही है दुनिया हमारी ।
तेरी हँसी से कलियाँ खिले ,
खुश होता हूँ तू जब मिले ।
याद में तेरे खुदको भुलाए ,
मैं बैठा हूँ पलके बिछाए ।
तू ही मेरी आखरी चाहत ,
तुझसे ही अब दिल को राहत ।
निशांत चौबे ‘ अज्ञानी’
११.०३.२०१४